हाथरस। कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व से जनपद हाथरस में लगातार कांग्रेस पार्टी के कमजोर होने पर पाटी संगठन में आन्तरिक कलह आई सामने पूर्व जिलाध्यक्ष व पूर्व शहर अध्यक्ष आदि कार्यकर्ताआंे ने पे्रस वार्ता कर प्रदेश नेतृत्व को जिला कमेटी में आन्तरिक सांठगांठ कर्ता होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने उस व्यक्ति को शहर अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने खुद अपना जनाधार धीरे-धीरे खो दिया, जो व्यक्ति 9 वर्ष पार्टी शहर अध्यक्ष रहा उसने उन 9 वर्षों में 9 व्यक्ति वैश्य इस पार्टी से नहीं जोड़ें, बल्कि जो अन्य जाति समुदाय के लोग पार्टी से जुड़े थे उनका मनोबल कमजोर कर उन्हें पार्टी से दूर होने को विवश कर दिया। लगातार चुनावों में करारी हार इसका प्रमाण है 2012 में हाथरस विधानसभा में 31000 के आसपास वोट आए थे उसके बाद 2017 में विधानसभा चुनाव में 27000 के लगभग वोट विधानसभा में प्रत्याशी को मिले, लेकिन जैसे ही तत्कालीन शहर अध्यक्ष को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई तो 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी मात्र 2600 वोटों पर सिमट कर रह गई, जिला संगठन मजबूती की झूठी रिपोर्ट बनाकर प्रांतीय पदाधिकारी जो हाथरस में प्रभार संभाले थे उनसे सांठगांठ कर नेतृत्व को गुमराह किया, जबकि यदि मुद्दों पर कांग्रेस संगठन संघर्ष करता तो लोग पार्टी से जुड़ते, परंतु कवि सम्मेलन, कवित्री सम्मान, मुशायरा मुजरा इत्यादि कार्यक्रम कांग्रेस के मंच से किए गए। जनमुद्दों पर कोई काम नहीं किया गया, भाजपा सरकार की गलत नीतियों को कभी मुद्दा नहीं बनाया, बल्कि आन्तरिक रूप से भाजपा को खुला रास्ता दिया गया, समर्पित एवं पुराने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर पार्टी लगातार कमजोर की गई, इस सब के लिए जिला कांग्रेस नेतृत्व ही नहीं वह प्रांतीय एवं राष्ट्रीय प्रभारी भी उतने ही जिम्मेदार हैं जिन्होंने जिला अध्यक्ष की मनमानी रिपोर्ट पर बिना जांच परख कर अपनी सहमति जताई है। पूर्व में जब हाथरस में बूलगड़ी हत्याकांड हुआ था तब राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने हाथरस आकर उस मामले में संघर्ष किया, कांग्रेस के पक्ष में अच्छा माहौल बना तथा बाल्मीकि समाज भाजपा से पूरे देश में ही नहीं हाथरस में भी बहुत खिलाफ था फिर भी विधानसभा 2022 में अंदरखाने जिला नेतृत्व ने भाजपा से सांठगांठ कर जाटव प्रत्याशी उतारा जोकि बहुत बड़ी रणनीतिक एवं राजनीतिक चूक थी। जिसमें वरन प्रांतीय एवं राष्ट्रीय प्रभारी भी जिला नेतृत्व के साथ उस सांठगांठ में शामिल हो गए जिसका परिणाम पार्टी को बुरी हार के रूप में झेलना पड़ा था, वही प्रक्रिया अब निकाय चुनाव में अपनाकर जिला नेतृत्व ने भाजपा को जिताने में आंतरिक मदद की है हम लोग पार्टी की लगातार गिरती साख को लेकर बेहद दुखी हुए व प्रदेश नेतृत्व तक अपनी बात पहुंचाने के लगातार प्रयास किए मगर बीच मे प्रांतीय पदाधिकारी उस बात को दबाकर प्रदेश नेतृत्व को गुमराह करते रहे। मजबूर होकर आज एक प्रेसवार्ता कर सच्चाई को नेतृत्व तक पहुंचाने के लिए मीडिया का सहारा लेना पड़ रहा है पार्टी को बचाने के लिए हमारे इस कदम को अगर पार्टी बगावत समझती हो तो समझे हम राहुल गांधी जी के सिपाही हैं सच के साथ खड़े रहेंगे, हमें बागी क्यों ना कहा जाए हम बागी बनकर पार्टी को बचाएंगे।