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  • ग्राउंड रिपोर्ट अनअप्रुब्ड काॅलोनियों का जनपद में बोलबालाः कब होगा काले धंधे वालांे का मुँह काला

    Hathras Date : 20-07-2023 04:47:23
    हाथरस। जनपद में अनअप्रुब्ड काॅलोनियों की बाढ़ सी आ गई है। जहां सरकारी आय को लगा रहे है चूना, वहीं आम जनता को बना रहे ठगी का शिकार। प्राप्त जानकारी अनुसार हाथरस के (नक्शा विभाग ) विकास प्राधिकारी विभाग द्वारा पिछले दिनों कई काॅलोनियों को अनअप्रुब्ड बताकर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक किसी काॅलोनी के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्यवाही दिखाई नहीं दी है। जनपद में लगभग 150-200 काॅलोनी फर्जी तौर तरीकों से स्थापित की जा चुकी हैं। जिनमें अनअप्रुब्ड होने की वजह से आम उपभोक्ता को भवन बनाने हेतु बैंक ब्याज पर पैसा नहीं देती, न ही कोई सरकारी योजना का लाभ मिल पाता है। जबकि सर्वप्रथम ग्राहक काॅलोनाइजर के जहां जाता है तो उसे यह आश्वासन दिया जाता है कि हमारी काॅलोनी में विशेष सुविधा इस प्रकार है कि घरों तक मीठा पानी, बिजली के खम्भंे, सीमेन्टेड रोड, जगह-जगह वृक्ष के साथ अन्य सुविधाओं के लिए ग्राहक की सेवा में तत्पर रहते हैं। अब बात करें अन्य सेवा की तो बिजली, पानी व पौधे तथा रोड़ जो सभी को एक नजर में दिखाई दे जाता है। लेकिन अन्य के नाम पर बताई जानी वाली सुविधा बैंकों से मिलने वाला ऋण, सरकारी योजनाओं का फायदा इन अनअपु्रब्ड काॅलोनियों तक नहीं पहुंच पाता है। क्या इसे धोखाधड़ी नहीं कहेगें। अब बात करें अनअपु्रब्ड काॅलोनी जनपद स्तर पर कहां और कितनी स्थापित है। सर्वप्रथम हाथरस तहसील में अलीगढ़ रोड़ पर लगभग एक दर्जन काॅलोनियां, आगरा रोड़ पर लगभग 1 दर्जन काॅलोनियां, जलेसर रोड़ पर लगभग एक दर्जन काॅलोनियां, तरफरा रोड़ पर आधा दर्जन काॅलोनियां, मुरसान रोड़ पर लगभग दो दर्जन काॅलोनियां, इग्लास रोड़ पर लगभग एक दर्जन काॅलोनियां तथा शहर के आसपास दर्जन भर से अधिक काॅलोनियां अनअपु्रब्ड हैं, लेकिन विकास प्राधिकरण एवं जनपद के आला अधिकारी इन काॅलोनियों से कैसे अनभिज्ञ है। हाथरस की बड़ी-बड़ी काॅलोनियां जिन्हें लोग नाम से पहचानते हैं, उन काॅलोनियों में भी 5 प्रतिशत भाग को अपु्रब्ड कराकर 100 प्रतिशत भाग को बैच दिया जाता है। सभी भूमि प्लाॅट खरीदने वालों से एक ही बात कही जाती है कि हमारी काॅलोनी अपु्रब्ड है तथा सभी प्रकार की सुविधा व बैंक लोन आदि की सुविधा भी उपलब्ध है। जब प्लाॅट खरीदकर प्लाॅट स्वामी बैंक पहुंचता है तो बैंक कर्मी उससे स्पष्ट कह देते है कि आपका लोन इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि आपके प्लाॅट का भाग अपु्रब्ड हिस्से से बाहर है। इस तरह की हरकतों को क्या धोखाधडी धारा 420 के तहत क्या मुकद्मा पंजीकृत नहीं होना चाहिए। सर्वप्रथम तो ऐसे कोलोनाइजरों के खिलाफ सरकार को सबक सिखाना चाहिए। दूसरा ठगी का फाॅर्मूला इन कोलोनाइजरों ने इस तरह अपना रखा है, कि अपनी काॅलोनी के नाम से स्थापित भू-भाग को किसान से केवल एग्रीमैन्ट करा लेते हैं और प्लाॅट खरीदने वाले लोगों को किसान द्वारा ही बैनामा कराकर स्टाम्प चोरी का फाॅर्मूला कायम कर लेते हैं। यदि किसान से कोलोनाइजर जमीन खरीदे तो उसे खुद को स्टाम्प देना होगा और उसके बाद उस प्लाॅट वाले को भी स्टाम्प देना होेगा, लेकिन चालाक किस्म के कोलोनाइजरों ने स्टाम्प चोरी का अच्छा फाॅर्मूला अपनाया है जिससे यह प्लाॅट खरीदने वाले को सीधे किसान से बैनामा करा देते हैं और अपना स्टाम्प बचा लेते हैं। क्या यह सरकारी राजस्व की चोरी नहीं है, यदि चोरी है तो इन काॅलोनियों का व्यापार थमने का नाम क्यों नहीं ले रहा है और अधिकारी उनके खिलाफ कोई ठोस रणनीति बनाकर कार्यवाही क्यूं नहीं करते हैं।
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