Breaking News
मेला श्री दाऊजी महाराज की तैयारियो का डीएम व एसपी ने लिया जायजा :
  • Grund report प्री वेडिंग फोटोशूट: समाज के लिए कहां तक सही ?

    Hathras Date : 23-11-2023 03:44:36

    हाथरस!हमारे समाज को प्री वेडिंग फोटोशूट की घातक बीमारी लग गई है ये समाज में बहुत तेजी से फैल रही हैं।प्री वेडिंग फोटोशूट में होने वाले दूल्हा-दुल्हन अपने परिवार वालों की सहमती से शादी से पुर्व फोटोग्राफर के एक समुह को अपने साथ लेकर शादी के बाद पति-पत्नी हनीमुन मनाने जाते हैं ऐसी सुंदर जगहों पर जाकर फोटोशूट करवाते हैं। कई फोटो दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे की बांहों में समाए हुए हैं ऐसे भी लिए जाते हैं। कई बार दुल्हन कम से कम परिधानों में होती हैं। शादी के दिन एक बड़ी स्क्रीन लगा कर इसे दिखाया जाता हैं। हम किसी की भी शादी में जाते हैं दूल्हा-दुल्हन के जीवनसाथी बनने के साक्षी बनने एवं उन्हें आशिर्वाद देने। कल्पना कीजिए कि आप किसी की शादी में गए और वहां पर बड़ी सी स्क्रीन पर दूल्हा-दुल्हन पहले से ही एक-दूसरे के बाहों में समाए हुए हैं... तो ये दृश्य देख कर आपको कैसा लगेगा? यहीं लगेगा न कि इन लोगों को हमारे साक्षी होने की आवश्यकता ही नहीं हैं...फ़िर हमें शादी में बुलाया ही क्यों? क्योंकि हमारी हिंदू संस्कृती में शादी से पुर्व इतना खुलापन स्विकार्य नहीं हैं। ये पाश्चात्य संस्कृति हैं।ये फोटोशूट करवाने के लिए 1 से 5 लाख रुपए तक का खर्चा होता हैं। इस फोटोशूट को सही कहने वालों का कहना होता हैं कि शादी हमारे बच्चों की हैं…पैसा हमारा हैं…तो हमारे बच्चों की खुशी के लिए यदि हम 5 लाख रुपए खर्च करते हैं तो गलत क्या हैं? जिसके पास पैसा नहीं हैं वो ये फोटोशूट न करवाए। लेकिन जिसके पास पैसा हैं उन्हें क्यों नहीं करने देते? बात बराबर हैं। इंसान बच्चों की खुशी के लिए ही सब कुछ करता हैं। यदि हम बच्चों की खुशी के तौर पर इसे देखेंगे तो इसमें कुछ भी गलत नहीं हैं। लेकिन कोई भी इवेंट सही हैं या गलत इस बात का फैसला इसी से होता हैं कि समाज पर उसके क्या परिणाम हो रहे हैं। शोध बताते हैं कि प्री वेडिंग फोटोशूट से कई शादियां टूट रही हैं। कहीं-कहीं तो दुल्हन ने दूल्हे की बजाय फोटोग्राफर से ही शादी कर ली!बच्चों की खुशी के लिए ही आम इंसान जिसके पास इतना पैसा नहीं हैं वो कर्जा लेकर भी यह फोटोशूट करवाएगा। इससे शादी के खर्च को लेकर पहले से टेंशन में जी रहे आम इंसान का टेंशन और बढ़ेगा। संस्कृत में कहा जाता हैं, चिंता समम नास्ति शरीर शोषणम्। मतलब चिंता जैसा शरीर का शोषण और कोई नहीं करता। टेंशन इंसान को अंदर से खोखला कर देता हैं। जिस फोटोशुट से समाज के ज्यादातर लोग टेंशन में जिएंगे वो फोटोशूट एक घातक बीमारी ही हुई न?

  • नवीनतम समाचार
  • Breaking News छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में 10 पुलिसकर्मी शहीद, गाड़ी को ब्लास्ट से उड़ाया, ड्राइवर की भी मौत, सुरक्षाबलों को रेस्क्यू करने जा रहे थे

  • Breaking इंद्रदेवश्वरानंद महाराज ने श्रीकृष्ण बाल लीलाओं का किया वर्णन : सुनकर भक्त हुए भाव-विभोर