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  • ग्राउंड रिपोर्ट नगर के प्रमुख धर्माचार्यों ने 01 नवम्बर को दीपावली पूजन बताया श्रेष्ठ व शास्त्र सम्मत

    Hathras Date : 26-10-2024 05:38:59
    हाथरस। (राजपथ ब्यूरो) पांच दिवसीय प्रकाशोत्सव पर्व मनाने को लेकर पूरे देश के साथ-साथ नगर हाथरस में भी भ्रम की स्थिति बरकरार चल रही है। वहीं सोशल मीडिया पर भी पर्व को लेकर विभिन्न -विभिन्न तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। दीपावली पर्व को लेकर हाथरस में भी तारीखों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। वहीं दीपावली पर्व पर महा लक्ष्मी पूजन को लेकर नगर के प्रमुख धर्माचार्यो व विद्वानों  ने पटाक्षेप कर चली आ रही भ्रम की स्थिति पर पूर्व रूप से विराम लगा दिया हैं। जिसके तहत ब्रज की द्वार देहरी कहे जाने वाले हाथरस में एक नवंबर को महालक्ष्मी पूजन के साथ दीपावली पर्व मनाया जाना सर्वश्रेष्ठ है। पर्व के संबध में जानकारी देते हुए नगर के प्रकाण्ड धर्माचार्य व विद्वानों में सुमार आचार्य उपेन्द्र नाथ चतुर्वेदी, युवा पं0 परिषद के अध्यक्ष आचार्य पंकज शास्त्री, परिषद के महामंत्री भागवताचार्य सीपू जी महाराज, नगर के सुप्रसिद्व कथा प्रवक्ता बल्लभ जी महाराज, पं0 डा0 गणेश चंद्र वशिष्ठ, आचार्य सुरेन्द्र नाथ चतुर्वेदी, आचार्य मनोज द्विवेदी, युवा विद्वान केयूर दीक्षित, श्याम बल्लभ, अमित मिश्र (कालू गुरू) आदि ने संयुक्त रूप से बताया कि समूचे ब्रज मण्डल के साथ साथ ब्रज की द्वार देहरी हाथरस में दीपोत्सव पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ एक नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा। उन्होने बताया कि उस दिन स्वाति नक्षत्र प्रीत योग निशीथ काल अमावस्या का होने से दीपावली पूजन शुभ एवं शास्त्र सम्मत है। पितृ कार्य पूजन पर्यन्त ही लक्ष्मी पूजन करना श्रेयस्कर, शास्त्रविहित और श्रेष्ठ है। यदि अमावस प्रदोष में दो दिन हो तो दूसरे दिन यह पर्व होता है साथ ही दूसरे दिन पं्रदोष वेला में 24 मिनट अमावस जरूर हो तभी दूसरा दिन स्वीकार है। यदि एक दिवस में तीन प्रहर से अधिक अमावस्या हो तो दीपावली मनाना श्रेष्ठ होता है जो कि एक नवंबर दिन शुक्रवार है। प्रमाण के तौर पर बात करें तो किसी भी व्रत/पर्व पर संदेह होने पर धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु, पुरूषार्थ चिंतामणि नामक ग्रंथ में अनेकों उल्लेख देखने को मिलते है। उसी के आधार पर हम विद्वानजन निर्णय करते है कि किस दिन व्रत/पर्व का मुहुर्त व तिथि शुभ है। देश में प्रकाशित होने वाले प्रमुख दर्जनों पंचागांे ने भी एक नवंबर दिन शुक्रवार को ही दीपावली पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया है। पर्व को लेकर पूर्व में भी युवा पं0 परिषद ने एक बैठक आहूत कर सर्वसम्मति से एक नवंबर को दीपावली पर्व मनाने का निर्णय लिया था। नगर के विद्वानों ने जनता जनार्दन व व्यापारियों से आग्रह किया है कि स्वाति नक्षत्र में दीपावली पूजन करने से परिवार में खुशहाली, समृद्वि व व्यापार में बढ़ोत्तरी होना लाजिमी है।
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