हाथरस। कनागत के प्रारम्भ से ही इमरतियों पर आई बहार नगर के सभी मिष्ठान विक्रेताओं ने इमरती के लिए अलग कढाई लगाकर इमरती बनाना शुरू कर दिया है। इमरती का यह मौसम इसलिए माना जाता है कि इसमें 15 दिन के कनागत होते हैं और 15 दिन पंडितों को मिष्ठान के रूप में इमरती का प्रचलन है। कनागतों में घर-घर अपने पित्रों को श्राद्ध डाला जाता है। श्राद्ध में इमरती का बड़ा ही महत्व हैं। बाजार में देशी घी की इमरती 460 रूपये प्रति किलो बिक रही है। वहीं वनस्पति से बनी इमरती 240 रूपये प्रति किलो बिक रही हैं। कनागत के इस पर्व पर इमरतियों का महत्व इसलिए भी अधिक है कि इमरती मिष्ठान के रूप में ताजी व गर्म होने की वजह से बहुत ही स्वादिस्ट मिष्ठान माना जाता है। शहर की कई प्रतिष्ठित दुकानों पर तो इमरती की बिक्री बहुत अधिक होती है।