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  • Grund report यूपी के इस गांव में करवा चौथ नहीं मनातीं सुहागिनें: व्रत तो दूर सोलह श्रृंगार भी नहीं करतीं महिलाएं

    यूपी के इस गांव में करवा चौथ नहीं मनातीं सुहागिनें:
    Date : 31-10-2023 01:33:43
    मथुरा। कान्हा की नगरी में एक ऐसा गांव भी है जिसमें रहने वाली हिंदू महिलाएं सुहाग की दीर्घायु की कामना करने वाले पर्व करवा चौथ का व्रत अज्ञात अनहोनी की वजह से नहीं रखती है। किदवंती कहती है कि सती के श्राप के भय से करवा चौथ का व्रत महिलाएं नहीं रखती है जिस कारण नई नवेली दुल्हन क्षेत्र की परंपरा के वजह से मन मसोस कर रह जाती हैं। यह गांव मथुरा जिले की मांट तहसील के अंतर्गत आता है इसका नाम है सुरीर बिजउ।
    इसका मुख्य कारण एक सती का इस क्षेत्र के लोगों को दिया गया श्राप है। गांव के बड़े बुजुुर्ग बताते हैं कि लगभग ढाई सौ वर्ष पहले घटी घटना के बाद शुरूवात में जिस महिला ने करवा चौथ मनाया उसे ही अपने पति को खोना पड़ गया। आठ नौ इस प्रकार की मौत होने से महिलाओं के विधवा होने के बाद से इस क्षेत्र में इस त्योहार का मनाना बन्द हो गया।
    गांव की 102 वर्षीय सुनहरी देवी ने बताया कि लगभग ढ़ाई सौ वर्ष पहले एक ब्राह्मण पति अपनी पत्नी को ससुराल से विदा कराकर बैलगाड़ी से जब अपने गांव राम नगला जा रहा था तो रास्ते में बघा क्षेत्र में उसका विवाद एक बैल को लेकर हो गया। जहां बघा क्षेत्र के एक व्यक्ति का कहना था कि उसका यह वही बैल है जो हाल में चोरी हो गया था वहीं ब्राह्मण कह रहा था कि यह बैल उसे ससुराल में मिला है। विवाद इतना बढ़ा कि ब्राह्मण की हत्या कर दी गई। इसके बाद उसकी पत्नी न केवल सती हो गई बल्कि सती होने के पहले उसने श्राप दिया था कि बघा क्षेत्र की जो भी महिला करवा चौथ का ब्रत करेगी उसके पति की मृत्यु हो जाएगी जिस दिन उक्त घटना घटी उस दिन करवा चौथ का पर्व था।
    उन्होंने बताया कि यद्यपि ब्राह्मण की मृत्यु के बाद गांव में ही सती का मन्दिर बनाया गया था तथा विवाह के पूर्व और अन्य पर्वों पर सातो जाति इसकी पूजा करती हैं किंतु करवा चौथ मनाने एवं कुछ विवाहित युवकों की मृत्यु के कारण करवा चौथ का ब्रत रखने की प्रथा इस गांव से स्वतः समाप्त हो गई। बदलते समय में कुछ विवाहिताओं को यह प्रथा कुप्रथा सी लगती है किंतु इसे तोड़ने का वे भी साहस नही जुटा पाती। विवाहिता पूजा कहती हैं कि शादी के पहले से ही उसके मन में करवा चौथ मनाने के लिए बड़ा उत्साह था किंतु सती के श्राप के कारण इस ब्रत को नही करती हैं। विवाहिता रेखा ने कहा कि उसे विवाह के बाद गांव की इस परंपरा का ज्ञान हुआ। विवाहिता पूनम, प्रीति आदि ने कुछ इसी प्रकार के विचार व्यक्त किये।

    समाजसेवी अभय गुप्ता ने बताया कि राम नगला गांव के लोग तो बघा का पानी पीने से भी परहेज करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बघा में सती की पूजा देवी की तरह की जाती है। देश के कम्प्यूटर युग में पहुंच जाने के बावजूद किसी में इस प्रथा को तोड़ने की हिम्मत नही है क्योंकि लोग सती के श्राप को एक प्रकार से देवी का आदेश मानते हैं।

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