हाथरस। विनयमित क्षेत्र हाथरस के अनदेखी के चलते जनपद में सैकडों की संख्या में अवैध काॅलोनी बनती जा रही है जबकि पूर्व में उप जिलाधिकारी द्वारा मात्र तीन काॅलोनी पर कार्यवाही करने की बात कही गई है। बात करे शहर हाथरस व देहात की तो अनेकों काॅलोनियां ऐसी शुशोभित हो गई है जिसमें 30 बीघा की काॅलोनी में मात्र 5 बीघा ही अप्रूव्ड कराई गई है और पूरी की पूरी काॅलोनियां बेच दी गई है। शहर के अन्दर नयामील कम्पाउड, वृन्दावन गार्डन, हीरा लाला क्वाटर काॅलोनी आदि नामों से शुशोभित चली आ रही काॅलोनियों में भी भारी गोलमाल है। वहीं भवनों के नक्शाओं में भी मानक के अनुकूल निर्माण नही कराए जा रहे है। नये भवनों के नक्शाओं में 30 प्रतिशत ऐरिया खुला छोड़ने के स्थान पर पूरा का पूरा ही पैक कर दिया जाता है। आगरा व अलीगढ़ रोड़ पर भी कई काॅलोनियां ऐसी बनी हुई है जिनमें 10-15प्रतिशत ऐरिया ही अप्रूव्ड कराए गए हंै। इन काॅलोनाइजरों की खाश बात यह है कि यह भारी मात्रा में सरकारी धन का गोलमाल करते है। जैसा कि किसान से एग्रीमैन्ट कराकर काॅलोनी शुशोभित की जाती है और किसान के द्वारा प्लाॅटों के क्रेताओं को ही बैनामा कराए जाते है। जबकि नियमानुसार किसान से काॅलोनाइजरों को बैनामा कराना चाहिए जिससे करोडों रूपये के स्टाम्प की आय होगी और डायरेक्ट किसानों से बैनामा कराने का सिस्टम बन्द कर देना चाहिए, जिससे करोड़ों का नुक्सान हो रहा है। कुछ भू-माफियाओं ने इस तरह के कार्याें को करना अपनी आदत सी बना लिया है सरकार को धोखा देना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं वह अक्सर इस कार्य को करते चले आ रहे हैं।