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ग्राउण्ड रिपोर्ट मेला श्री दाऊजी महाराज का ठेका विलम्ब होने से मेले पर पड सकता है असरः दंगल में अपराधी किस्म के लोग संयोजक के लिए दौड़ में
Hathras Date : 02-09-2023 05:24:08हाथरस। मेला श्री दाऊजी महाराज वर्ष 2023 के ठेके का विलंब होना कई प्रश्नों को जन्म दे रहा है काश इसीतरह समय और निकल गया तो मेले के स्वरूप में परिवर्तन न आ जाए। मेले के लिए सबसे पहले ठेका उठना भी बहुत जरूरी होता है ठेका उठता है तभी मेला आयोजकों के लिए पैसा वितरण हो पाता है और मेले में चार चंाद लग पाते हैं। मेले के संबंध में पूर्व इतिहास को भी देखें तो जिन जिन अधिकारियों ने और समाजसेवियों ने मेले को श्रद्धाभाव से किया है उन सभी लोगों ने दाऊ बाबा के आर्शिवाद के रूप में प्रमोशन व तरक्की प्राप्त की है। जिन अधिकारियों ने दाऊबाबा के मेले को केवल मेला समझकर नुमाईश की तरह समझा है तो उनकी विकास की गति थम गई है। बात करना चाहंेगे हम सक्रिय व धार्मिक सेवा भाव से जुड़े मेला के रिसीवर हाथरस के डीएम रविकांत भटनागर ने मेले को पूरी श्रद्धाभाव के साथ किया और हाथरस से जाने के बाद वह कमिश्नर हुए और कमिश्नर होने के बाद डायरेक्टर पद से रिटायरमेंट लिया वहीं बात करें एक मुस्लिम रिसीवर की तो उन्होंने भी दाऊजी महाराज की सेवा पूरे श्रद्धाभाव से की उनका नाम था शमीम अहमद खान शमीम अहमद खान ने मेले को ऐतिहासिक बनाने के लिए पुर जोर प्रयास किये मंदिर में बैठकर दाऊ बाबा की सेवा की व पूजा अर्चना की और तरक्की के नाम पर दाऊबाबा ने उन्हें अपने ही निकटतम जिले अलीगढ़ का अपर आयुक्त बनाया। उसके बाद आज भी सचिवालय में उच्च पद पर वे आसीन है। यह है दाऊबाबा का चमत्कार। वहीं दलित समाज की पिंकी जोवेल ने जिलाधिकारी के रूप में दाऊबाबा की सेवा का निर्वहन किया उन्होंने भी तरक्की के बाद लगातार तरक्की के बाद सचिवालय की उच्च सेवा में कार्यरत है इस तरह के एक नहीं अनेकों उदाहरण हमारे सामने देखने को मिले हैं बात करें समाजसेवियों की तो विष्णु गौतम ने मेला रिसीवर के रूप में दाऊबाबा की सेवा कर समाज में उच्च प्राप्त की वरिष्ठ पत्रकार महेश चंदेल ने भी 2003 में दाऊबाबा की सेवा में मेले को सेवाभाव के साथ इतना बड़ा कर दिया कि जो मेला 12 दिन चलता था वह 23 दिन चला। 4 संगीत सम्मेलन 02 भजन संध्या जो कि एक रिकाॅर्ड में शामिल हैं। जिस-जिस भक्त ने सेवा भाव से दाऊबाबा को पुकारा और जिस-जिस ने दाऊबाबा की सेवा की उसे निश्चित ही सुखद परिणाम के रूप में फल हासिल हुआ है। यह एक पहली मेला रिसीवर अर्चना वर्मा हैं जिन्होंने दाऊबाबा की सेवा को शायद गंभीरता से न लिया हो और सेवा को एसडीएम सदर को सौंप दिया है और विलंब पर विलंब होते हुए ठेका न उठने के साथ मेले की हालत में गिरावट न आ जाए यह भय भी सताने लगा है। मेला श्री दाऊजी महाराज का सबसे बड़ा प्रोग्राम कुश्ती दंगल होता है और दंगल दाऊबाबा का प्रिय खेल है। इस खेल के लिए संयोजक के रूप में कुछ गुण्डे बदमाश मूछों पर ताव मारते घूम रहे हैं कि दंगल तो हमें ही मिलेगा किसी की कोई हिम्मत नहीं है। यहां तक कि एक डिस्को पार्टी चलाने वाला व्यक्ति भी दंगल कराने की बात कहने लगा है। इन सभी चीजों पर ध्यान देकर मेला रिसीवर और मेला अधिकारियों को मेले की शान में दाग लगने से रोका जाए उन्ही को संयोजक बनाया जाए जो समाज सेवी हो यदि गुण्डा बदमाश संयोजक बनेंगे तो संयोजकता की आढ़ में धौंसवसूली का काम करना शुरू कर देगें।
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