हाथरस सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में तीन आरोपियों को शुक्रवार को अलीगढ़ की जेल से रिहा किया गया। जेलर पी. के. सिंह ने बताया, "हमने चार में तीन आरोपियों को आज सुबह 8 बजे रिहा किया है।
इन्होंने लिखित में पत्र दिया था जिसके बाद इनकी रिहाई आज की गई है।" दो साल से जो चेहरे मुरझाए थे, वे आज खिले दिखाई दे रहे थे। बरी किए गए बूलगढ़ी के तीनों युवकों के घर होली से पहले ही त्योहार की खुशियां आ गईं।
कोर्ट का फैसला आते ही स्वजन भावुक हो गए। बोले, न्याय की उम्मीद थी। न्याय मिला है। अब बेटे घर आएंगे। दुष्कर्म का कलंक हटा है। यह अधिक खुशी की बात है। संदीप को दोषी माना है। इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
गुरुवार की दोपहर एक बजकर 12 मिनट पर कोर्ट ने फैसला सुनाया। संदीप को दोषी माना, उम्रकैद की सजा हुई है। बरी किए गए रामू, लवकुश, रवि के स्वजन की खुशी का ठिकाना न रहा। गांव के अन्य लोग भी इसे सही बता रहे थे। कोर्ट से बरी हुए 35 वर्षीय रामू के दो बच्चे हैं। इनमें आठ वर्षीय सोना और चार साल का रोहित है। रामू को जब जेल भेजा गया तब दोनों बच्चे घर में खेलते थे, लेकिन अब बेटा स्कूल जाने लगा है।
रामू के बरी होने की खबर पर पिता राकेश के चेहरे में खुशी के अलग ही भाव थे। 40 वर्षीय रवि के तीन बच्चे हैं। इनमें 12 वर्षीय मानवी, आठ वर्षीय शेखर और छह वर्षीय चीका है। लवकुश अविवाहित है। इसके बरी होने की जानकारी से पिता रामवीर सिंह और मां मुन्नीदेवी के चेहरे का भाव बता रहा था कि आज का दिन उनके लिए खास है।
रामसिंह चौकीदारी करते हैं। फैसला आने के बाद गांव में अनेक लोग उनके घर पहुंच गए। खुशी जताई, लेकिन गांव के लोगों को कसक इस बात की है कि संदीप को आजीवन कारावास की सजा हो गई। स्वजन को उम्मीद है कि उसे भी देर से सही, मगर इंसाफ जरूर मिलेगा।