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  • Breaking News श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारी में बाजारों में बिखरी रौनकः ठाकुर जी के साज श्रृंगार की दुकानों पर भारी भीड़ दिखी

    Hathras Date : 06-09-2023 05:25:59

    हाथरस। जन्माष्टमी के पावन पर्व पर पूरे नगर में रौनक दिखाई देने लगी है आज बाजारों में भगवान श्री कृष्ण की वस्त्र व आभूषणों की खरीददारी के लिए भारी भीड़ उमड़ पडी है। नगर की लगभग सभी वस्त्र-श्रृंगार की दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिल रही है। साथ ही साथ ठाकुर जी के पालने की भी खरीददारी भी खुब देखने को मिल रही है। कल घर-घर कन्हाई लेगें जन्म और उनकों झूला भी झुलाया जाएगा। इसके अलावा शहर के प्रसिद्ध मंन्दिरों में भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व को लेकर तैयारी हो रही हैं व साफ सफाई करते हुए मंन्दिरों को सजाया भी जा रहा है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के लिए आम जनमानस में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। इस पर्व पर खास बात यह रहती है कि गोपाल जी का जन्म उत्सव मनाने के साथ-साथ उनके खिलौने सजाये जाते हैं, जगह-जगह, घर-घर हिंडोले आकर्षक रूप में सजाये जाते हंै और झांकियां बनाकर लोगों को दर्शन कराए जाते हैं। हाथरस के इतिहास के पन्नों में जन्मोत्सव का बहुत ही बड़ा महत्व है जब भगवान कृष्ण ने मथुरा की जेल में जन्म लिया था और वह नंद बाबा के यहां पहुंचचुके थे तो बहुत जोर का उत्सव हुआ था उत्सव के दौरान भगवान शिव जी का मन भी उनके दर्शन के लिए व्याकुल होने लगा और वह कैलाश पर्वत छोड़कर मथुरा के लिए रवाना हो लिए, वहीं पार्वती जी ने कहा प्रभु मुझे भी साथ ले चलो मैं भी दर्शन कर आऊंगी। नंदी बाबा के ऊपर सवार होकर पार्वती और शिव आकाश मार्ग से होते हुए हाथरस की सरजमी पर आकर विश्राम किया। विश्राम का कारण पार्वती मैया को प्यास लगना थी, पार्वती मैया बोली मुझे प्यास लग रही है और मैं थोड़ा विश्राम भी करना चाहती हूं तो आप नन्दलाल के दर्शन करके यही आ जाओ, वह स्थान  है हाथरसी मैया। हाथरसी मैया पर पार्वती जी को बिठाकर कृष्ण जी के दर्शन करने के लिए भगवान शिव जी जल्दी गये और वहां उन्होंने उनके दर्शन प्राप्त किये और दर्शन करने के बाद वह जब वापस आए तो माता पार्वती ने अपनी हथेलियां को रगड़ कर एक जलधारा तैयार कर दी और उसे जलधारा से अपनी प्यास बुझाई और तभी से इस शहर का नाम भी हाथरस पड़ गया। क्योंकि हाथों से रगड़ के जो रस निकाला उससे प्यास बुझी इसलिए हाथरस नाम पड़ा। यह कहानी भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है।

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