हाथरस। छोटे-छोटे बच्चों को नशे की लत डालकर चोरी जैसी घटनाओं को करा रहे हैं कुछ माफिया। माफियाओं द्वारा पहले तो बच्चों को नशे की लत डाली जाती है और बाद में जब नशा देना बन्द कर दिया जाता है तो वह नशे के लिए तड़पने लगते हंै उसी बीच माफिया अपना काम शुरू कर देते हैं। माफिया बच्चों से कहते हैं कि तुम्हंे जेबकटी, चोरी, उठाई-गिरी जैसी घटनाएं करनी होगी और माल हमें लाकर दोगें तभी हम तुम्हें नशा की आपूर्ति कराएगें। समय के साथ-साथ यह लत बच्चों में इतनी अधिक प्रभावी हुई है कि वह दिन भर कूड़ा-कचरा बीनकर अपनी नशा पूर्ति के लिए पैसा कमा पाते हैं और नशा पूर्ति न होने पर माफियाओं के चक्कर में फसकर उनके मुताबिक चोरी आदि की घटनाऐं करनी पडती हंै। यह नशे के आदी बच्चे कबाड़ खरीदने व बेचने का भी कार्य करते हैं। जिससे इन्हें किसी भी काॅलोनी में आने-जाने का मौका मिल जाता है। उसी का फायदा उठाकर यह लोग लोहा पीतल, प्लास्टिक जो भी इन्हंे मिलता है उसे अपनी गाड़ी में उठाकर डाल लेते हैं। तथा यह लोग घर के पनारों में लगे प्लास्टिक के पाइपों को खींचकर व तोडकर अपनी प्लास्टिक में मिला लेते हैं और शिकायत किये जाने पर पुलिस भी इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पाती है। पुलिस सोचती है इन्हें नशा पूर्ति नहीं हुई तो यह मर जायेगें और हमारी नौकरी पर धब्बा लग जाएगा तथा फलस्वरूप बर्खास्त भी होना पड़ सकता है। फिर भी ऐसे मुजरिमों के खिलाफ पुलिस प्रशासन को ठोस रणनीति तैयार करनी चाहिए। क्योंकि छोटे अपराधों से ही बडे अपराधों का जन्म मिलता है।